मेरी
अच्छाई को तूने मेरी कमज़ोरी समझा,
मेरे
प्यार को तूने मेरी मजबूरी समझा...
हाथ
पकड़ा मैंने हर बुरे वक़्त तेरा,
पर
हर परेशानी को तूने दूरी समझा ||
वापस
लेता हूँ आज हर वादा तुझसे,
गलती
मेरी थी जो तुझे उनके काबिल समझा...
नहीं
है तू मुझसी न होने की हिम्मत है तुझमे,
गलती
मेरी थी जो तुझे रूह में शामिल समझा ||
- अविनाश