Think

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Friday, November 9, 2012

गुज़ारिश




जिंदा रह के भी कौन जिंदा है यहाँ ?
जीना चाह के भी कौन जिया है यहाँ ?

अपना हक समझ कुछ सपने देख बैठे,
पर पाके भी उन्हें कौन पाया है यहाँ ?

बदलती है ज़िन्दगी बदलना उसूल है शायद,
पर सब कुछ बदल के भी, कौन बदल पाया है यहाँ ?

तुझे रोकना चाहता हूँ दिलों जान से,
पर जाने वाले को कौन रोक पाया है यहाँ ?

कशिश रहेगी तेरे दिल में भी ज़िन्दगी भर,
मुझसा प्यार कौन कर पायेगा यहाँ ?

अभी भी वक़्त है लौट आ,
गुजरा वक़्त कौन लौटा पाया है यहाँ ?

-    अविनाश