आज फिर मेरे साथ
उस जन्नत का एहसास कर लो,
आज फिर अपने
कदमों को मेरे साथ कर लो...
मेरे छूने से जिस
प्यार की बूंद मचलती है,
आज फिर उस प्यार
की बरसात कर लो...
डरता हूँ के तनहा
न रह जाएं हम - तुम,
इस डर से आज मुझे
और खुद को आज़ाद कर लो...
उस दुनिया में
हज़ार बंधन हैं, इस दुनिया में
मैं खड़ा हूँ,
कदम बढ़ा के अपनी
दुनिया आबाद कर लो...
आज फिर मेरे साथ
उस जन्नत का एहसास कर लो....
- अविनाश