ऐ समंदर कुछ पानी
उधार देदे,
के पलकें भिगोने को
जी चाहता है...
मेरे आँखों के आंसू
सूख चुके हैं,
पर आज फिर रोने को
जी चाहता है...
तेरी बेबसी मेरी
बेबसी से बढ़कर नहीं,
के पाया हुआ सब खोया
नहीं जाता है...
ऐ समंदर कुछ पानी
उधार देदे,
के आज फिर रोने को
जी चाहता है...
- अविनाश